न सारथी न रथ योद्धा चला अनन्त पथ। न सारथी न रथ योद्धा चला अनन्त पथ।
मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन। मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
नीयत बदलती, इंसानियत नहीं। नीयत बदलती, इंसानियत नहीं।
तब तक मुझमें जीने की सनक बाकी है, मैं बुड्ढा नहीं हुआ हूँ ! तब तक मुझमें जीने की सनक बाकी है, मैं बुड्ढा नहीं हुआ हूँ !
ज़िंदगी भर मै स्वयं से ही रुठा रहा , खुशी के पलों में भी मै टूटा रहा । ज़िंदगी भर मै स्वयं से ही रुठा रहा , खुशी के पलों में भी मै टूटा रहा ।